UP चुनाव 2027 मे योगी आदित्य नाथ औऱ अखिलेश यादव की क्या हैँ चुनौती… 

UP चुनाव 2027 मे योगी आदित्य नाथ औऱ अखिलेश यादव की क्या हैँ चुनौती…

UP चुनाव 2027
written by – Jyoti kumari

उत्तर प्रदेश में आज जो परिस्थितियां हैं, उस लिहाज से 2027 में योगी आदित्यनाथ के लिए और बढ़ती जा रही हैं चुनौतियाँ। आइए जानते हैं विस्तार से:

1. पार्टियों के अंदर नाराज़ विधायकों को मानना
2. सहयोगियों के साथ नाराज़गी दूर करना
3. संगठन में एकजुटता का अभाव
4. स्थानीय मुद्दों को साधना
5. कोर वोट बैंक को जोड़े रखना
6. संविधान आरक्षण विरोधी नैरेटिव की काट ढूंढना

https://youtu.be/2mc08F116xA?si=X5eT3tPxvswyJuhD

ये चुनौतियाँ सिर्फ योगी आदित्यनाथ के लिए ही नहीं, अखिलेश यादव के लिए भी हैं। जानते हैं क्या हैं चुनौतियाँ अखिलेश यादव के पास:

1. सहयोगियों से कोऑर्डिनेशन
2. पार्टी नेताओं में एकजुटता बनाए रखना
3. पड़ा वोट बैंक का विस्तार करना
4. हिंदू विरोधी नैरेटिव को तोड़ना
5. जमीनी स्तर पर विरोधियों को मजबूत करना

याद होगा आपको अखिलेश यादव का बयान, उन्होंने कहा था राजनीति में त्याग जैसी कोई चीज नहीं होती है। इसी प्रैक्टिकल अप्रोच के सहारे अखिलेश यादव 2027 में योगी आदित्यनाथ को चुनौती देंगे, लेकिन यह कितना काम करेगा, यह इस बात पर निर्भर है कि किसके नैरेटिव में कितना दम है।

इस सबके बीच क्या संबल का मुद्दा हिंदुत्व के एजेंडे को मजबूत करेगा? क्या संबल 2027 के चुनाव के लिए प्रयोगशाला बनेगी?

योगी आदित्यनाथ ने कहा, “देखिए, हमारा भारत तभी हो सकता है जब वो एक होगा। एक होगा तो वह श्रेष्ठ होगा।” राजनीति के जानकारों का मानना है कि 2027 के चुनाव में संबल एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। क्या अयोध्या के तर्ज पर संबल हिंदुत्व के नए प्रयोगशाला केंद्र बनेगा? योगी आदित्यनाथ ने सीओ अनुज चौधरी के बयान का समर्थन कर राजनीतिक संदेश दिया। 46 साल बाद यह होली मनाए जाने से माहौल और गरमाया। उत्तर प्रदेश अभी अयोध्या के मामले में शांत है। कहा जाता है कि संबल में हरिहर मंदिर भी बाबर ने ही ढहाया था।

संभल में भगवान विष्णु के कल्कि अवतार की भी मान्यता है।

2027 में विधानसभा का चुनाव है। शायद बीजेपी के लिए संबल हिंदुत्व का प्रयोगशाला साबित हो सकता है।

पिछले साल नवंबर में कोर्ट के आदेश के बाद सही जमा मस्जिद में सर्वे का काम शुरू हुआ। इसी बीच हिंदू-मुस्लिम में सियासी दंगे भड़क गए और यहाँ मंदिर-मस्जिद की सियासी पिच तैयार हो गई। मंदिरों का सिलसिला ऐसा हुआ कि मुस्लिम जगहों पर कई मंदिर मिलने लगे। 400 साल पुराना मंदिर मिला, जिसमें भगवान शिव, हनुमान जी और कर्तिकेय जी की मूर्ति विराजमान थी। इसलिए बीजेपी हिंदुत्व के एजेंडे पर अग्रसर है।

महाकुंभ के दौरान योगी आदित्यनाथ हिंदुओं को एकजुट रहने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन अखिलेश यादव भी कहीं पलटवार करने में पीछे नहीं रहे। 2024 के चुनाव के बाद से अखिलेश अपने PDA परिवार को एक साथ रखना चाहते हैं।

ऐसे तो अभी विधानसभा चुनाव दो साल बाद हैं, लेकिन जिस तरह से दांव-पेंच लगाए जा रहे हैं, इससे लगता है कि विधानसभा चुनाव दिलचस्प होगा…

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