जन सेवा संघ ट्रस्ट द्वारा साकची बाराद्वारी में पशु-पक्षियों के पीने योग्य पानी की व्यवस्था पर सभा 20 April

जन सेवा संघ ट्रस्ट द्वारा साकची बाराद्वारी में पशु-पक्षियों के पीने योग्य पानी की व्यवस्था पर सभा
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जन सेवा संघ ट्रस्ट द्वारा साकची बाराद्वारी में पशु-पक्षियों के पीने योग्य पानी की व्यवस्था पर सभा 20 April

जमशेदपुर

जन सेवा संघ ट्रस्ट एक सामाजिक संस्था है जो विभिन्न परोपकारी कार्यक्रमों से समाज की सेवा करती है और पशु-पक्षियों की सुरक्षा और हित का भी ध्यान रखती है।

आज साकची बाराद्वारी में इस संगठन द्वारा पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने हेतु सभा की गई, जिसमें उन्होंने चिलचिलाती गर्मी में उनके हित को ध्यान में रखते हुए उनके लिए पीने के पानी की व्यवस्था की बात की। उन्होंने बताया कि नांद की तरह एक सीमेंट के गमले में पानी की व्यवस्था हर इलाके में सड़क के किनारे की जाए, जिससे गर्मी में जगह-जगह भटकने वाले पशु और पक्षियों को पानी की दिक्कत न हो और उन्हें भी पीने का जल मिल सके।

पशु-पक्षियों के पीने योग्य पानी की व्यवस्था पर सभा
पशु-पक्षियों के पीने योग्य पानी की व्यवस्था पर सभा

उन्होंने यह भी समझाया कि पानी हर दिन बदला जाए ताकि किसी तरह की बीमारी पानी में न हो और यह सुरक्षित रहे। हम मानव अपना ध्यान तो रखते हैं, लेकिन कभी-कभी स्वार्थवश अपनी जिम्मेदारी को भूल जाते हैं। अगर हम इस धरती पर हैं, तो हमारा कर्तव्य बनता है कि अपने साथ-साथ अपने आस-पास के जीव-जंतु का भी ध्यान रखें।

गर्मी में जमशेदपुर के कई जगहों पर हमारे लिए पानी का घड़ा रोड के किनारे रखा होता है, जिससे रास्ते में प्यास लगने पर अपनी प्यास बुझा सकें, लेकिन जानवरों के लिए नहीं होता। यदि जन सेवा संघ ट्रस्ट द्वारा समझाई गई व्यवस्था का पालन किया जाए, तो कितने ही पशु-पक्षियों की सेवा की जा सकती है। हमारे लिए कुछ दिन यह कार्य कठिन हो सकता है, लेकिन नामुमकिन नहीं है।

पशु-पक्षियों के पीने योग्य पानी की व्यवस्था पर सभा
पशु-पक्षियों के पीने योग्य पानी की व्यवस्था पर सभा

आइए हम सब मिलकर इस परोपकारी कार्य में अपना समर्थन दें, इस व्यवस्था को जमशेदपुर में हर जगह सुचारु रूप से चलाने में अपना योगदान दें, इस नेक काम को मिलकर एक मुहिम बनाते हैं और जन-जन तक पहुंचाते हैं।

आपको बता दें कि विगत कई वर्षों से जन सेवा संघ ट्रस्ट जीव-जंतु की सुरक्षा के कार्य करती आ रही है।

गर्मी में पशु-पक्षियों के लिए कैसे करें खाने और पानी की व्यवस्था

पानी की कमी गर्मियों में कई पशुओं और परिंदों को मार डालता है। लोगों की मदद से घरों के आसपास उड़ने वाले परिंदों की प्यास बुझाई जा सकती है। घरों में सुबह आंखें खुलने पर गौरेया, मैना और अन्य पक्षियों की चहक सभी को मोह लेती है। घरों के बाहर फुदकती गौरेया बड़ों को भी आकर्षित करती है। ग्रीष्मकालीन मौसम में पक्षियों का आनंद लेना और उनका विशेष ख्याल रखना आवश्यक है।

आने वाले सप्ताह और जेठ में गर्मी और अधिक होने की संभावना है। पानी हर जीव को गर्मियों में चाहिए। तपती गर्मी में पशुओं और परिंदों को पानी के लिए भटकना पड़ता है, हालांकि मनुष्य पानी का संग्रह कर लेता है। पक्षी पानी न मिलने पर गिर जाते हैं।

गर्मी में पशु-पक्षियों के लिए कैसे करें खाने और पानी की व्यवस्था
गर्मी में पशु-पक्षियों के लिए कैसे करें खाने और पानी की व्यवस्था

भोजन और पानी की होती है कमी

गर्मी में पक्षियों को भोजन भी कम मिलता है। गर्मियों में नमी वाली जगहों में कीड़े-मकोड़े पक्षियों का भोजन हैं। खुले क्षेत्रों में कीड़ों की संख्या कम हो जाती है, जिससे पक्षियों को भोजन खोजने में भी काफी कठिनाई होती है। जंगलों में जल स्रोत सूख जाते हैं और पेड़ों के पत्ते झड़ जाते हैं। वहीं, चारागाह के अलावा खेतों में पानी की कमी से मवेशियों को भोजन की भी कमी से जूझना पड़ता है।

पशु चिकित्सक की प्रतिक्रिया: पशु चिकित्सक डॉ. केके पटेल ने कहा कि पक्षियों की किडनी के फंक्शन के लिए साल्ट और एनर्जी आवश्यक हैं। खनिज-लवणयुक्त पानी इसका उपयोग कर सकता है। गर्मी में अपने घरों के बाहर छतों पर पानी के बर्तन रखें और पक्षियों के लिए यदि संभव हो तो छतों पर छाया भी रखें। पानी में गुड़ की थोड़ी मात्रा मिलाकर पक्षियों के शरीर में इलेक्ट्रोलाइट की मात्रा को संतुलित रखना चाहिए।

इससे शरीर को गर्मी से राहत मिलती है और पानी की कमी नहीं होती। साथ ही, वेस्ट वाटर घर से बाहर फेंकने पर मवेशियों के लिए पानी के लिए कोटना भी रखना चाहिए।

क्या करें उपाय

पानी से भरे बर्तन को घर के बाहर टांगें, या एक बड़ा बर्तन या कोटना भरकर रखें, जिससे मवेशी और परिंदे पानी देखने के लिए आकर्षित हों।

छत में पानी की व्यवस्था करने के लिए छायादार स्थान बनाकर पानी के बर्तन रखें।

चना, चावल, ज्वार, गेहूं आदि घर में उपलब्ध सामग्री को छतों में रखें।

पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करने के लिए कम पानी वाले जल स्रोतों को गंदा न करें।

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