मंथरा का किरदार और ललिता पवार 18 April

मंथरा का किरदार और ललिता पवार
Spread the love

मंथरा का किरदार और ललिता पवार 18 April

1987 में जब रामानंद सागर की ‘रामायण’ टीवी पर आई, तो उसमें ललिता पवार ने मंथरा का किरदार निभाया। यह किरदार इतना प्रभावशाली था कि लोग उन्हें असल ज़िंदगी में भी ‘कुटिल’ समझने लगे। कई दर्शकों ने उन्हें चिट्ठियाँ भी लिखीं जिनमें अभद्र भाषा का उपयोग किया गया था। कुछ जगहों पर उनके पोस्टर जलाए गए। यह विवाद इतना बढ़ गया कि खुद रामानंद सागर को मीडिया के ज़रिए सामने आकर कहना पड़ा कि – ‘ललिता जी ने सिर्फ किरदार निभाया है, असल ज़िंदगी में वो बेहद सुलझी हुई और विनम्र महिला हैं।’ लेकिन तब तक यह ज़हर फैल चुका था।

ललिता पवार का जन्म 18 अप्रैल 1916 को नासिक, महाराष्ट्र के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। यानी की आज ही के दिन ललिता पवार का जन्मदिवस है। उनका असली नाम था अम्बिका गोंडाल। फिल्मों में आने का सपना उनके पिता का था, और मात्र 9 साल की उम्र में उन्होंने फिल्म राजा हरिश्चंद्र (1928) में एक बाल कलाकार के रूप में कदम रखा। धीरे-धीरे वे मूक फिल्मों की स्टार बन गईं। 1930 और 40 के दशक में उन्होंने कई लीड रोल किए और उन्हें “ग्लैमरस हीरोइन” के रूप में जाना जाने लगा। लेकिन उनकी जिंदगी की कहानी एक मोड़ पर आकर पूरी तरह बदल गई।

मंथरा का किरदार और ललिता पवार
मंथरा का किरदार और ललिता पवार

ग्लैमरस हिरोइन से लेकर खलनायिका बनने तक का सफर

साल था 1942। फिल्म Jung-E-Azadi की शूटिंग चल रही थी। एक सीन में को-एक्टर भगवान दादा को ललिता जी को हल्का सा थप्पड़ मारना था। लेकिन उस सीन में कुछ ऐसा हुआ जिसने ललिता पवार की पूरी ज़िंदगी बदल दी। भगवान दादा का थप्पड़ इतना ज़ोरदार था कि उनके कान के पास की नस फट गई। ललिता पवार को लकवा मार गया। तीन साल तक वे बिस्तर पर रहीं और जब लौटीं, तो उनके चेहरे का दाहिना हिस्सा हमेशा के लिए डैमेज हो चुका था। उनका एक आँख ढंग से खुलती नहीं थी। यहीं से उनकी “हीरोइन” की छवि खत्म हो गई, लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी।

ललिता पवार ने अपनी नई पहचान बनाई – खलनायिका की। उन्होंने ‘सास’ के किरदार में जान डाल दी। अनाड़ी (1959) की मिसेज डिसूज़ा हो या श्री 420 की मालकिन – उन्होंने जो भी रोल किया, अमर कर दिया। लोग उन्हें देखकर डरने लगे लेकिन इसी डर में उनका अभिनय जीवित था। लेकिन इन फिल्मों के पीछे, एक और कहानी थी – उनकी कड़वाहट और गुस्से की।

ललिता पवार अपने रोल के लिए बेहद परफेक्शनिस्ट थीं। लेकिन कई बार उनकी ये परफेक्शनिस्ट सोच सेट पर तनाव पैदा करती थी। एक बार फिल्म शराबी के सेट पर उनकी जया प्रदा से जबरदस्त बहस हो गई थी। ललिता पवार का मानना था कि जया “सीन की गंभीरता को नहीं समझ रहीं”। बात इतनी बढ़ गई कि शूटिंग रोकनी पड़ी।

मंथरा का किरदार और ललिता पवार
मंथरा का किरदार और ललिता पवार

इसी तरह रामायण सीरियल में ‘मंथरा’ का किरदार निभाते वक्त, उन्होंने रामानंद सागर से एक सीन के डायलॉग को बदलने की मांग की थी। उन्होंने कहा था की मंथरा कोई जोकर नहीं है, वो पॉलिटिकल माइंडेड है। इसलिए डायलॉग्स चेंज होना चाहिए। इसी व्यवहार से ललिता पवार के बारे में कहा जाता है की ललिता पवार केवल कलाकार नहीं, एक सोच थीं – जो अपने रोल की गहराई को समझती थीं और उसके लिए लड़ जाती थीं।

ललिता पवार की निजी जिंदगी भी विवादों से अछूती नहीं रही। उन्होंने फिल्म डायरेक्टर गणपतराव पवार से शादी की थी, लेकिन शादी के कुछ सालों बाद उनके रिश्ते में दरार आ गई। कहा जाता है कि गणपतराव पवार का किसी और अभिनेत्री से अफेयर था। ललिता पवार इस बात से बेहद आहत थीं। उन्होंने अपने पति से अलग होकर एक नया जीवन शुरू किया – लेकिन यह घटना उनके दिल में एक कटुता छोड़ गई।

मंथरा का किरदार और ललिता पवार
मंथरा का किरदार और ललिता पवार

कुछ रिपोर्ट्स तो यहाँ तक कहती हैं कि वे अपने जीवन के अंतिम वर्षों में एकदम अकेली पड़ गई थीं। साल 1998 में, ललिता पवार का देहांत हुआ। लेकिन दुख की बात ये रही कि जब उनकी मृत्यु हुई, तब बॉलीवुड का कोई बड़ा नाम उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुआ।

बॉलीवुड में जहां नई-नई अभिनेत्रियां आती हैं और चली जाती हैं, वहां ललिता पवार जैसी महान कलाकारों को भुला दिया जाता है। लेकिन उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।

आज उनके जन्मदिवस पर हम उन्हें नमन करते है और उनके कार्यो को याद करते है।

धन्यवाद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *