महाराणा प्रताप जयंती मानाने के उपलक्ष मे हुई बैठक 13 April

महाराणा प्रताप जयंती मनाने के उपलक्ष मे हुई बैठक 13 April
आगामी 9 मई 2025 को महाराणा प्रताप जयंती मनाने के लिए एक बैठक हुई, जिसमें 11 सदस्यीय संचालन समिति की घोषणा की गई
झारखंड क्षत्रिय युवा संघ की बैठक आज 13 अप्रैल 2025 को कदमा स्थित क्षत्रिय भवन में संपन्न हुई। युवा संघ के अध्यक्ष नीरज सिंह और संचालन महामंत्री कुमार प्रताप सिसोदिया ने मीटिंग की अध्यक्षता की।
आज की बैठक में महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर पर सेवा शिविर लगाने, महाराणा प्रताप की प्रतिमा की रंगाई, पुताई, नगर सज्ज़ा गोल चक्कर की सजावट और माल्यार्पण पर विस्तार से चर्चा हुई।
साथ ही इस वर्ष पिछले वर्ष के कार्यक्रम में हुई कमियों को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। पूरे कार्यक्रम को सफलतापूर्वक चलाने के लिए ग्यारह सदस्यीय संचालन समिति बनाई गई।

जिनमें जीतू सिंह, रवि प्रकाश, राजीव रंजन, सुशील कुमार सिंह, राजीव उर्फ बबलू, सुनील सिंह, इंद्रजीत सिंह, विश्वजीत सिंह, सुखदेव सिंह, करण प्रताप सिंह और अभिषेक सिंह शामिल हैं. झारखंड क्षत्रिय युवा संघ का अध्यक्ष, महामंत्री, संगठन मंत्री और पदेन सभी पदाधिकारी सहयोगी रहेंगे।
15 अप्रैल सुबह 11 बजे बिस्टुपुर अध्यक्ष नीरज सिंह के ऑफिस में अगली बैठक होगी। आज की बैठक को सफल बनाने में आशुतोष विवेक कुमार सिंह, जयंत सिंह, चंदन सिंह, संतोष सिंह धर्मेंद्र सिंह, अमित सिंह, वी पी सिंह, अमरेंद्र सिंह, दिनेश कुमार सिंह, मृत्युंजय सिंह, सुधीर सिंह और हेमंत सिंह ने सबसे अधिक योगदान दिया।
महराणा प्रताप कौन है?
महाराणा प्रताप ने बार-बार मुगलों से मेवाड़ बचाया। अपनी आन बान और शान को कभी नहीं खोया। विपरीत हालात में भी मैंने कभी हार नहीं मानी। यही कारण है कि महाराणा प्रताप की वीरता को कोई भी कहानी नहीं छू सकती।
110 किलोग्राम वजन और 7 फीट 5 इंच की लंबाई है। 81 किलो का भारी भाला और 72 किलो का कवच छाती पर। उसकी सैन्य क्षमता भी दुश्मनों को आकर्षित करती थी। उन लोगों ने मुगल शासक अकबर का भी घमंड तोड़ दिया। 30 सालों की लगातार कोशिश के बावजूद अकबर ने उन्हें बंदी बनाने में असफल रहा। 9 मई को ऐसे वीर योद्धा महाराणा प्रताप की जयंती है।
महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के मेवाड़ में हुआ था। राजपूत राजघराने में जन्म लेने वाले प्रताप उदय सिंह द्वितीय और महारानी जयवंता बाई के सबसे बड़े पुत्र थे।
वे एक महान पराक्रमी और युद्ध रणनीति कौशल में दक्ष थे। महाराणा प्रताप ने मुगलों के बार-बार हुए हमलों से मेवाड़ की रक्षा की। उन्होंने अपनी आन, बान और शान के लिए कभी समझौता नहीं किया। विपरीत से विपरीत परिस्थिति ही क्यों ना, कभी हार नहीं मानी। यही वजह है कि महाराणा प्रताप की वीरता के आगे किसी की भी कहानी टिकती नहीं है।
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