आज से होगी व्यापार वार्ता भारत और अमेरिका के बीच

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आज से होगी व्यापार वार्ता भारत और अमेरिका के बीच

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने विश्वव्यापी व्यापार युद्ध और आर्थिक मोर्चे को बाधा डाला है। ताजा घटनाक्रम में सूत्रों ने कहा कि ट्रंप भारत को राहत देने पर भी टैरिफ को 55 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं। अमेरिका को एक लाख करोड़ रुपये के आयात पर शुल्क घटाकर 66 अरब डॉलर का निर्यात बचाने की कोशिश में ऐसा किया जाएगा। खास बात यह है कि आज से भारत दौरे पर आए अमेरिकी दल से व्यापार वार्ता होगी।

भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पारस्परिक टैरिफ लगाने की समयसीमा करीब आने के साथ इसका बुरा असर कम करने का प्रयास किया है। भारत अमेरिका से आयातित 55% वस्तुओं पर टैरिफ कटौती कर सकता है, सूत्रों ने कहा। हालाँकि, ट्रंप से भी कुछ राहत की उम्मीद है। एसएंडपी रेटिंग एजेंसी ने कहा कि ट्रंप के टैरिफ युद्ध का भारत की अर्थव्यवस्था पर कोई खास प्रभाव नहीं होगा।

भारत-अमेरिका की बातचीत दो अप्रैल से पारस्परिक टैरिफ लागू करने की घोषणा से उत्पन्न अनिश्चितता के कारण कुल निर्यात का 87% प्रभावित होगा। रायटर की रिपोर्ट के अनुसार, नई दिल्ली ने अपने आंतरिक विश्लेषण में पाया है कि टैरिफ अमेरिका के कुल निर्यात में से 87 प्रतिशत, यानी लगभग 66 अरब डॉलर या 5.68 लाख करोड़ रुपये, को प्रभावित करेगा। सूत्रों के अनुसार, भारत 23 अरब डॉलर (करीब दो लाख करोड़ रुपये) के अमेरिकी आयात पर टैरिफ कटौती करने पर विचार कर रहा है, जो इस निर्यात को सुरक्षित रखेगा।

आज से होगी व्यापार वार्ता भारत और अमेरिका के बीच
आज से होगी व्यापार वार्ता भारत और अमेरिका के बीच Jyoti kumari 

अमेरिकी वस्तुओं के आयात पर शुल्क को काफी कम करने की तैयारी

वर्तमान 5% से 30% तक टैरिफ वाले 55 प्रतिशत अमेरिकी वस्तुओं के आयात पर शुल्क को काफी कम करने या पूरी तरह खत्म करने पर भी भारत तैयार हो सकता है, सूत्रों के अनुसार। टैरिफ कटौती की यह पेशकश, हालांकि, अमेरिका से पारस्परिक टैरिफ पर मिलने वाली राहत पर निर्भर करेगी। भारत का अनुमान है कि ट्रंप के निर्णय से खनिज ईंधन, मोती, बिजली के उपकरण, बॉयलर और मशीनरी पर टैरिफ में 6 से 10 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।

अमेरिकी दल के साथ व्यापार वार्ता आज से

टैरिफ पर ट्रंप की धमकियों के बीच भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को सुरक्षित रखने के लिए मंगलवार को एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भारत पहुंचा। यह दल बुधवार से दक्षिण और मध्य एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में तीन दिवसीय वार्ता शुरू करेगा। भारतीय अधिकारियों के साथ बैठक में प्रस्तावित व्यापार समझौते का ध्यान रखा जाएगा। समझौते को दो चरणों में अंतिम रूप दिया जाना है। माल व्यापार से संबंधित मुद्दों पर पहले ध्यान दिया जाना चाहिए।

जीटीआरआई ने सतर्कता बरतने की दी सलाह

भारत को अमेरिका के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत करते समय, आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि अमेरिकी फास्ट ट्रैक ट्रेड अथॉरिटी की अनुपस्थिति में किसी भी समझौते पर अमेरिकी संसद की जांच, संभावित संशोधन, देरी या सीधे अस्वीकृति की तलवार लटकती रहेगी। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि प्रमाणन प्रक्रिया अमेरिका को व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर के बाद प्रभावी रूप से पुनः वार्ता करने देती है। इससे नीति में परिवर्तन की आवश्यकता होगी, जो भारत की स्वतंत्रता को कमजोर कर सकता है।

नए टैरिफ से इंडोनेशिया, इस्राइल और वियतनाम को लाभ
पारस्परिक टैरिफ से लगभग 95 हजार करोड़ रुपये के फार्मास्यूटिकल और ऑटोमोटिव निर्यात, जो पूरी तरह से अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं, पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ सकता है। इंडोनेशिया, इस्राइल और वियतनाम जैसे विकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं को नए टैरिफ से लाभ मिल सकता है।

ऑटोमोबाइल टैरिफ में चरणबद्ध कटौती के लिए दबाव
भारत ने अमेरिका के साथ वार्ता के दौरान ऑटोमोबाइल टैरिफ में चरणबद्ध कटौती के लिए दबाव डालने का अनुमान लगाया है, जो अभी 100 प्रतिशत से अधिक प्रभावी है।

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