सतीश कौशिक – एक बहुआयामी कलाकार। अभिनेता, लेखक, निर्देशक और निर्माता। 13 April

सतीश कौशिक – एक बहुआयामी कलाकार। अभिनेता, लेखक, निर्देशक और निर्माता। 13 April
हर कलाकार का सपना होता है कि वो पर्दे के पीछे भी अपनी पहचान बनाए। सतीश कौशिक ने 1993 में फिल्म ‘रूप की रानी चोरों का राजा’ से निर्देशन में कदम रखा।
फिल्म उस दौर की सबसे महंगी फिल्मों में से एक थी और निर्माता बोनी कपूर ने इस पर अपनी पूरी पूंजी लगा दी थी। नतीजा? भारी नुकसान,

मीडिया की तीखी आलोचना और सतीश कौशिक की बतौर निर्देशक छवि पर सवाल उठे।
फिल्म की नाकामी ने ना सिर्फ निर्माता को आर्थिक रूप से तोड़ा, बल्कि कौशिक की साख को भी गहरा धक्का पहुंचाया। उन्हें लंबे समय तक आलोचना का सामना करना पड़ा।
सतीश कौशिक का जन्म 13 अप्रैल 1956 को हरियाणा के महेन्द्रगढ़ में हुआ। यानी आज ही के दिन सतीश कौशिक का जन्मदिवस है। सतीश कौशिक – एक बहुआयामी कलाकार।
अभिनेता, लेखक, निर्देशक और निर्माता। ‘मिस्टर इंडिया’ का ‘कैलेंडर’, ‘दीवाना मस्ताना’ का ‘पप्पू पेजर’, और न जाने कितने किरदार जिनसे भारतीय दर्शक हँसते-हँसते लोटपोट हो गए। दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन और फिर नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा और एफटीआईआई से एक्टिंग की तालीम। लेकिन जितनी रंगीन उनकी फिल्मों की दुनिया थी, उतनी ही उतार-चढ़ाव से भरी उनकी निजी और पेशेवर ज़िंदगी रही है।
2003 में आई सलमान खान की फिल्म ‘तेरे नाम’ सतीश कौशिक के निर्देशन में बनी। फिल्म हिट रही, लेकिन विवादों से भी जुड़ी रही। कई आलोचकों ने कहा कि फिल्म मानसिक बीमारी को ग्लैमराइज़ कर रही है।
एक तरफ जहां सलमान के अभिनय की तारीफ हुई, वहीं दूसरी तरफ मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को ‘रोमांटिक हीरो’ बनाना नैतिक रूप से गलत बताया गया। इसके अलावा, फिल्म की कहानी को दक्षिण भारतीय फिल्म ‘सेतु’ की कॉपी माना गया। हालांकि, कौशिक ने कभी इस पर खुलकर बयान नहीं दिया, लेकिन इंडस्ट्री में ये चर्चा लंबे समय तक रही।

निजी जीवन की ट्रैजेडी और समाज की आलोचना
सतीश कौशिक की निजी ज़िंदगी भी कुछ कम दर्दनाक नहीं रही। 1996 में उन्होंने अपना 2 साल का बेटा खो दिया। यह दुख उन्हें अंदर से तोड़ गया। इसके बाद लंबे समय तक वे मानसिक तनाव में रहे। 2012 में, वे एक बार फिर पिता बने – सरोगेसी के ज़रिए। उनके इस कदम की भी कुछ लोगों ने आलोचना की। लेकिन उन्होंने बेझिझक कहा की ‘पिता बनने की खुशी उम्र नहीं देखती।’ समाज के दोहरे मापदंडों पर उनकी यह प्रतिक्रिया उनकी सच्चाई और दृढ़ता का प्रतीक थी।
सतीश कौशिक के कुछ राजनीतिक कनेक्शन भी चर्चा में रहे। कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि उन्होंने सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल अपने प्रोजेक्ट्स के लिए किया। हालांकि, कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह बातें अक्सर होती रहीं। कई बार उन्हें सरकारी इवेंट्स में देखा गया, जहां उनकी उपस्थिति को ‘प्रचार’ से जोड़ कर देखा गया।

* सतीश कौशिक की अचानक मृत्यु *
2023 में एक ऐसी घटना हुई, जिसने सतीश कौशिक को एक बार फिर विवादों के घेरे में ला दिया। होली के मौके पर गुरुग्राम के एक फार्महाउस में आयोजित पार्टी में सतीश कौशिक की अचानक मृत्यु हो गई।
उनकी मौत ने जहां उनके चाहने वालों को चौंका दिया, वहीं इसके बाद जो खुलासे हुए, उन्होंने कई सवाल खड़े कर दिए। कहा गया कि पार्टी एक बिज़नेसमैन के फार्महाउस पर हो रही थी, जिसमें महंगी शराब, दवाइयाँ और प्रभावशाली लोग शामिल थे। उनकी पत्नी ने बयान दिया कि हो सकता है किसी ने उन्हें कोई गलत दवा दे दी हो।
एफआईआर दर्ज हुई, पुलिस जांच शुरू हुई, और मीडिया ने इसे सनसनीखेज बना दिया। कई लोगों ने सवाल उठाया की क्या ये सिर्फ एक हार्ट अटैक था या इसके पीछे कोई साजिश? हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ‘प्राकृतिक मृत्यु’ की बात कही गई, लेकिन जांच की प्रक्रिया और कुछ लोगों के संदिग्ध व्यवहार ने इसे विवादित बना दिया।

सतीश कौशिक की मौत के बाद एक और नाम उभरा – वेदांत खन्ना, दिल्ली का एक मशहूर बिज़नेसमैन, जो कथित तौर पर पार्टी का आयोजक था। सूत्रों की मानें तो इस पार्टी में कई हाई-प्रोफाइल लोग शामिल थे और वहां कुछ संदिग्ध गतिविधियां भी देखी गईं।
एक महिला ने यह तक दावा किया कि सतीश कौशिक की मौत के पीछे वित्तीय लेन-देन से जुड़ा विवाद था। पुलिस ने इस पर कार्रवाई तो की, लेकिन साक्ष्य स्पष्ट नहीं थे। इस मामले ने मीडिया में भूचाल ला दिया और सोशल मीडिया पर तरह-तरह की थ्योरीज़ वायरल होने लगीं। पर स्पष्ट रूप से कोई निष्कर्ष नहीं निकला।
सतीश कौशिक अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका काम, उनकी हँसी और उनका संघर्ष हमेशा हमें याद रहेगा। विवादों से घिरे होने के बावजूद, सतीश कौशिक ने कभी हार नहीं मानी – और यही उन्हें एक सच्चा कलाकार बनाता है।
आज उनके जन्मदिवस पर हम उनके कार्यो को याद हैं और उन्हें नमन करते है।
धन्यवाद