कैसे एक आदमी ‘भगवान’ बन जाता है, और फिर वही ‘गुनहगार’ साबित होता है। 17 April

कैसे एक आदमी ‘भगवान’ बन जाता है, और फिर वही ‘गुनहगार’ साबित होता है। 17 April
जोधपुर की अदालत ने 25 अप्रैल 2018 को आसाराम बापू को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। यह एक ऐतिहासिक फैसला था, जहाँ एक कथित संत को कानून ने गुनहगार ठहराया। कोर्ट ने साफ कहा कि यौन उत्पीड़न का अपराध जघन्य था और इसकी सजा कड़ी से कड़ी होनी चाहिए। हाल ही में आसाराम बापू को सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा आधार पर 31 मार्च 2025 तक अंतरिम जमानत दी है।
आसाराम बापू का असली नाम था आसुमल सिरूमलानी हरपलानी जिनका जन्म 17 अप्रैल 1941 को पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हुआ था। यानी की आज ही के दिन आसाराम बापू का जन्मदिन है। जब भारत-पाक विभाजन हुआ, तब उनका परिवार भारत आकर गुजरात के अहमदाबाद में बस गया।
आर्थिक स्थिति साधारण थी। बचपन में उन्होंने कई छोटी-मोटी नौकरियाँ कीं – दूध बेचना, कोल्ड ड्रिंक्स की दुकान में काम करना और यहाँ तक कि लकड़ियाँ बेचने तक का काम। इन संघर्षों ने उन्हें जीवन का असली पाठ पढ़ाया – संतोष, परिश्रम और सेवा का।

बचपन से ही आसाराम बापू में आध्यात्मिक जिज्ञासा थी
वे अक्सर संतों के प्रवचनों में बैठते, साधकों से मिलते और भगवान के बारे में गहन चर्चा करते। एक दिन उन्होंने अपना सब कुछ छोड़ कर हिमालय की ओर प्रस्थान किया – साधना की तलाश में। वहाँ वे कई संतों और गुरुओं से मिले, लेकिन उनकी आध्यात्मिक यात्रा को दिशा मिली जब उन्हें श्री लीलाशाह जी महाराज जैसे गुरु मिले। गुरु ने उन्हें दीक्षा दी और नया नाम मिला – संत श्री आसारामजी बापू।
दीक्षा के बाद आसाराम बापू ने गुजरात के मोटेरा (अहमदाबाद) में पहला आश्रम स्थापित किया। धीरे-धीरे उनका प्रवचन लोगों को आकर्षित करने लगा। उनका सरल भाषा में आध्यात्म का ज्ञान देना, जीवन के कठिन सवालों के आसान उत्तर देना – लोगों के हृदय को छू गया। उन्होंने ‘नामजप’, ‘ध्यान’, ‘साधना’ और ‘भक्ति’ को जीवन का हिस्सा बनाने पर ज़ोर दिया। जल्द ही उनके अनुयायियों की संख्या हज़ारों से लाखों तक पहुँच गई।
आज उनके आश्रम भारत के कई राज्यों में और विदेशों में भी है। उनकी किताबें, सीडी, और सत्संग वीडियो आज भी करोड़ों लोगों तक पहुँचे हुए हैं।

आसाराम बापू का मानना था – “भक्ति और सेवा दोनों साथ-साथ होनी चाहिए।”
2013 में आसाराम बापू की सबसे बड़ी और कुख्यात विवाद की शुरुआत होती है साल 2013 में। एक 16 वर्षीय लड़की ने उन पर जोधपुर के आश्रम में यौन उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया। पीड़िता ने बताया कि वह और उसका परिवार आसाराम बापू के भक्त थे। आसाराम बापू ने उन्हें अपने जोधपुर आश्रम में बुलाया, जहाँ उन्होंने लड़की के साथ गलत किया और वह यौन उत्पीडन का शिकार हुई।
इस मामले में 20 अगस्त 2013 को एफआईआर दर्ज हुई, और उसके बाद देशभर में बवाल मच गया। आसाराम बापू को 1 सितंबर 2013 को इंदौर से गिरफ्तार किया गया। उनकी गिरफ्तारी के समय उनके समर्थकों ने पुलिस पर हमला किया, प्रदर्शन किए, लेकिन कानून के आगे कुछ नहीं चला। इस केस की सुनवाई के दौरान चौंकाने वाली बातें सामने आईं – पीड़िता और उसके परिवार को धमकियाँ दी गईं। गवाहों को मारा गया, कुछ की मौत की खबर भी सामने आयी। जानकारी के अनुसार केस को कमजोर करने के लिए करोड़ों रुपए की घूस की पेशकश भी हुई।

यौन उत्तपीड़न का मामला सबसे गंभीर था, लेकिन यह पहली बार नहीं था जब आसाराम बापू विवादों में घिरे। इसके पहले भी कई विवाद उनके नाम से जुड़े थे जैसे –
१. 2008 में अहमदाबाद के गुरुकुल में दो बच्चों की मौत जिसमे संदेह था कि ये मौतें तांत्रिक क्रियाओं के चलते हुईं। पुलिस जांच में कई गड़बड़ियाँ सामने आईं, लेकिन आज तक स्पष्ट सच्चाई सामने नहीं आई।
२. फिर उनके आश्रमों को लेकर कई बार जमीन हड़पने और अतिक्रमण के आरोप लगे। कई गरीब लोगों की जमीन आश्रम में मिलाए जाने की शिकायतें मिलीं।
३. और अंत में उनके आश्रमों में छापेमारी के दौरान बड़ी मात्रा में नकदी, सोना और हथियार बरामद हुए। ये भी सवाल उठे कि एक संत को बंदूक क्यों चाहिए?

आसाराम बापू अक्सर अपने जन्मदिन पर विशेष प्रवचन दिया करते थे। आज भी आसाराम बापू के अनुयायी उन्हें गुरु, पिता और मार्गदर्शक मानते हैं।
‘संत श्री आशारामजी आश्रम’ की वेबसाइट, यूट्यूब चैनल और अन्य डिजिटल माध्यमों से उनके प्रवचन लगातार प्रसारित किए जाते हैं। आज भी उनके अनुयायियों द्वारा 17 अप्रैल को आसाराम बापू का जन्मदिन मनाया जाता है। इस अवसर पर –
– सुबह 5 बजे से ही आश्रमों में मंगल आरती, हवन और पूजन की शुरुआत होती है।
– आसाराम बापू के चित्र के सामने भव्य आरती की जाती है।
– इस दिन विशेष सत्संग का आयोजन होता है, जहाँ उनके पुराने प्रवचन सुनाए जाते हैं।
– लाखों लोगों को भोजन कराया जाता है। निःशुल्क भंडारे में शुद्ध सात्विक भोजन दिया जाता है।
– इस दिन रक्तदान शिविर, गरीबों में वस्त्र वितरण, अनाथ बच्चों को भोजन और मिठाइयाँ दी जाती हैं।
– कई स्थानों पर बापू के जीवन की झलक देने वाली प्रदर्शनी लगाई जाती है, जहाँ उनकी साधना, सेवा और शिक्षाओं की तस्वीरें होती हैं।
तो ये थी कहानी एक ऐसे धर्मगुरु की, जो कभी लाखों लोगों के श्रद्धा का केंद्र थे।
धन्यवाद!