शकुंतला देवी “गणितज्ञ या जादूगर?” 21 April

शकुंतला देवी “गणितज्ञ या जादूगर?” 21 April
21 अप्रैल 2013…ये तारीख भारत के इतिहास में एक ऐसा दिन बन गई, जब विज्ञान, शिक्षा और इंसानी क्षमता का एक चमकता हुआ सितारा हमेशा के लिए डूब गया। यानी आज शकुंतला देवी की पुण्यतिथि है।
4 नवम्बर 1929 को कर्नाटक के बेंगलुरु शहर में जन्मी शकुंतला देवी का जीवन बचपन से ही आम बच्चों जैसा नहीं था। उनके पिता एक सर्कस में काम करते थे, और उन्होंने जल्द ही अपनी बेटी की मानसिक शक्ति को पहचाना। 5 साल की उम्र में उन्होंने बिना किसी औपचारिक शिक्षा के बड़े-बड़े गणित के सवाल हल करना शुरू कर दिया। लेकिन जहां दुनिया उन्हें सलाम कर रही थी, वहीं कई लोगों को शक था – कही यह सारी चीज़े स्क्रिप्टेड तो नहीं ?

लेकिन, समय के साथ उन्होंने लाइव मंचों पर गणितीय कमाल करके सबके मुंह बंद कर दिए। पर फिर भी, एक छवि बन गई –
“क्या वो सच में जीनियस हैं, या बस एक शोमैन?”
” The World of Homosexuals ” समलैंगिकता पर लिखी किताब
शकुंतला देवी की शादी हुई थी एक बंगाली लेखक ‘परितोष बनर्जी’ से। लेकिन शादी कुछ ही सालों में टूट गई, और इसका कारण था – परितोष का समलैंगिक होना। इस दर्दनाक निजी अनुभव के बावजूद शकुंतला देवी ने कुछ ऐसा किया, जो उस दौर में कोई सोच भी नहीं सकता था। उन्होंने 1977 में एक किताब लिखी – “The World of Homosexuals”।
यह भारत की पहली समलैंगिकता पर आधारित किताब मानी जाती है। पर इसके साथ ही उठ खड़े हुए कई विवाद:
👉 एक तरफ LGBTQIA+ समुदाय ने कहा कि ये पहला प्रयास है उन्हें समझने का।
👉 वहीं दूसरी ओर, भारतीय समाज में उठी आलोचनाओं की लहर
शकुंतला देवी ने खुद बताया कि किताब लिखने का मकसद बदला नहीं, बल्कि समझ पैदा करना था। लेकिन उस दौर में समाज इतना खुला नहीं था।
किताब को बैन करने की भी मांग उठी थी।
1980 के दशक में शकुंतला देवी ने राजनीति में कदम रखा। उन्होंने इंदिरा गांधी के खिलाफ दक्षिणी बंगलौर से लोकसभा चुनाव लड़ा। हालांकि, ये चुनाव वो हार गईं। पर असली विवाद तो उनके भाषणों और बयानों से शुरू हुआ। उन्होंने कई बार कांग्रेस पार्टी पर निजी टिप्पणियाँ कीं, इंदिरा गांधी के कामों की आलोचना की, और खुद को “जनता की सच्ची नेता” बताया। इस बयां से एक नया विवाद का आगमन हुआ पर शकुंतला देवी अडिग रही।
बायोपिक “Shakuntala Devi” के बाद बदल गई छवि
शकुंतला देवी का निजी जीवन भी हमेशा चर्चा में रहा। उनकी एक बेटी थी – अनुपमा। पर मीडिया रिपोर्ट्स में ये बात बार-बार उछली कि शकुंतला देवी का अपनी बेटी से संबंध मधुर नहीं था। 2020 में आई बायोपिक फिल्म “Shakuntala Devi” में भी दिखाया गया कि कैसे माँ और बेटी के रिश्ते में तनाव था। हालांकि शकुंतला देवी ने कभी मीडिया में इस मुद्दे पर खुलकर बात नहीं की। पर ये विवाद लोगों के दिलो-दिमाग में बस गया।
2020 में जब विद्या बालन स्टारर फिल्म “Shakuntala Devi” रिलीज़ हुई, तब लोगों ने जाना कि वो सिर्फ ह्यूमन कंप्यूटर ही नहीं, बल्कि एक लेखक, समाज सुधारक, राजनीतिक व्यक्तित्व और माँ भी थीं।
21 अप्रैल 2013…सुबह-सुबह बेंगलुरु के अस्पताल से एक खबर आई –
‘शकुंतला देवी अब इस दुनिया में नहीं रहीं।’
मीडिया चैनल्स पर ब्रेकिंग न्यूज़ चली:
‘ह्यूमन कंप्यूटर का हुआ निधन।’
शकुंतला देवी की मौत के दिन, भारत के न्यूज़ चैनलों पर –
👉 एक तरफ IPL मैच की चर्चा,
👉 दूसरी ओर राजनीति में उठापटक,
👉 और कहीं-कहीं पर एक दो मिनट की ख़बर –
‘गणित की जादूगर चली गईं।’
किसी ने दिनभर का श्रद्धांजलि कार्यक्रम नहीं किया। न किसी बड़े राजनेता ने तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दी। ना ही कोई राष्ट्रीय शोक, ना ही स्कूलों में श्रद्धांजलि सभा।
आज भले ही शकुंतला देवी हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार, उनकी गति, और उनका गणितीय कमाल आज भी लाखों बच्चों के दिल में ज़िंदा है। आज शकुंतला देवी के पुण्यतिथि के अवसर पर हम उनके कार्यो को नमन करते है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते है।
धन्यवाद