बाबा वैधनाथ धाम की कहानी, विशेषता और महत्व 2 may

बाबा वैधनाथ धाम की कहानी, विशेषता और महत्व 2 may
यकीनन! बैद्यनाथ धाम, या बैठनाथ धाम नहीं, भारत के झारखंड राज्य में स्थित एक बहुत महत्वपूर्ण और पवित्र हिंदू तीर्थस्थल है। कई कारणों से इसकी आस्था और महत्व है:

ज्योतिर्लिंग:
यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, इसलिए यह शिवभक्तों के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान शिव एक ज्योति के रूप में दिखाई दिए।
पौराणिक कथाएँ:

इस मंदिर से कई पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं, जिनमें रावण द्वारा भगवान शिव की तपस्या करने और शिवलिंग को लंका ले जाने की कोशिश का सबसे बड़ा हिस्सा है। यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव ने यहाँ वैद्य (चिकित्सक) के रूप में प्रकट होकर रावण के घावों को ठीक किया, इसलिए इस स्थान का नाम बैद्यनाथ पड़ा।
आध्यात्मिक महत्व: यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु आध्यात्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए आते हैं। यहाँ प्रार्थना करने से भक्तों के पाप धुल जाते हैं और उनकी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं, ऐसा माना जाता है।

सांस्कृतिक महत्व: बैद्यनाथ धाम एक धार्मिक स्थान है और भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ साल भर कई त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन सबसे बड़ा और प्रसिद्ध श्रावणी मेला है, जो एक महीने तक चलता है और लाखों लोगों को देश भर से लाता है।

स्वास्थ्य और कल्याण: “वैद्यनाथ” का अर्थ “चिकित्सकों के भगवान” है, और इस स्थान को बीमारियों को ठीक करने और स्वास्थ्य प्रदान करने की शक्ति दी जाती है। कुल मिलाकर, बैद्यनाथ धाम हिन्दू धर्म में गहरी आस्था रखने वालों के लिए बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण स्थान है; यह धार्मिक, पौराणिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
बाबा बैद्यनाथ की कहानी
लंका के राजा रावण ने पौराणिक कथाओं में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हिमालय में कठोर तपस्या की। उसने अपने नौ सिरों को एक-एक करके काटकर शिवलिंग पर अर्पित कर दिए। जब वह अपना दसवां सिर काटने वाला था, भगवान शिव ने रावण को देखा, प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहा।
रावण ने भगवान शिव से उस ‘कामना लिंग’ को लंका में स्थापित करने का वरदान मांगा, जिससे उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकें। भगवान शिव ने उसकी इच्छा पूरी की, लेकिन एक शर्त रखी कि वह शिवलिंग को रास्ते में कहीं भी धरती पर रखेगा, तो वह वहीं स्थापित हो जाएगा और उसे उठा नहीं पाएगा।
शिवलिंग को लेकर रावण लंका की ओर चला गया। रास्ते में, मंदिर के पास, उसे एक हल्की लघुशंका हुई। तब भगवान विष्णु ने ग्वाले की तरह शिवलिंग को रावण से कुछ समय के लिए रखने को कहा। रावण ने शिवलिंग को विष्णु (ग्वाले) को सौंप दिया और कुछ समय विश्राम करने चला गया।
लघुशंका करने में रावण को बहुत समय लग गया। इस बीच, भगवान विष्णु ने ग्वाले के रूप में शिवलिंग का निर्माण किया। जब रावण वापस आया तो शिवलिंग को हिला भी नहीं सका। नाराज़ होकर रावण ने शिवलिंग पर अपना अंगूठा दबाया, जिससे उस पर एक निशान बन गया।
यह शिवलिंग देवघर में स्थापित है और बाबा बैद्यनाथ के नाम से जाना जाता है। यह भी कहा जाता है कि भगवान विष्णु ग्वाले के रूप में “बैजू” थे, इसलिए इस स्थान को बैजनाथ धाम भी कहा जाता है।
बाबा बैद्यनाथ का महत्व:
बारह ग्रहों में से एक: यह बहुत महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है क्योंकि बाबा बैद्यनाथ मंदिर भगवान शिव के बारह पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
प्रेम का लिंग: इस शिवलिंग को “कामना लिंग” भी कहा जाता है, क्योंकि भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
शक्तिपीठ: यह मंदिर एक ज्योतिर्लिंग है और 51 शक्तिपीठों में से एक है जहां देवी सती का हृदय गिरा था। यहां शक्ति को जय दुर्गा कहकर पूजा जाता है।
शिव और शक्ति का एकीकरण: यह और भी पवित्र है क्योंकि यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जहां शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं।
मुख्य मंदिर के शिखर को मां पार्वती के मंदिर के शिखर से लाल पवित्र धागे से बांधा जाता है, जो उनके दिव्य एकजुटता का प्रतीक है। रोगमुक्ति: “बैद्यनाथ” शब्द का अर्थ है “वैद्य” या “डॉक्टर”।
माना जाता है कि भगवान शिव को इस तरह पूजा करने से भक्तों को सभी रोगों और पीड़ाओं से छुटकारा मिलता है।
बाबा बैद्यनाथ की विशेषताएं:
विशिष्ट संयोजन: यह मंदिर एक ज्योतिर्लिंग और एक शक्तिपीठ है, इसलिए इसे बहुत गौरव है।
कामना पूर्ति: भक्तों का भरोसा है कि बाबा बैद्यनाथ उनकी सभी सच्ची इच्छाओं को पूरा करेंगे।
शिखर गठबंधन: विवाहित जोड़ों के लिए बहुत शुभ माना जाता है मुख्य मंदिर और मां पार्वती मंदिर के शिखरों को लाल धागे से बांधना।
पंचशूल: बैद्यनाथ मंदिर के शिखर पर पंचशूल (पांच धातुओं से बना माना जाता है) है, जबकि अन्य शिव मंदिरों में त्रिशूल है।
श्रावणी मेला: लाखों लोग श्रावण में यहां आते हैं और ‘कांवर यात्रा’ करते हुए गंगाजल देते हैं।
बाबा बैद्यनाथ धाम भारत की विशाल आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।