क्या छूट जाएगा BJP ओर नितीश कुमार का साथ…


साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव होने वाले हैं लेकिन उससे पहले बिहार के राजनैतिक गलियारों में कई तरह की खुसपहुसाहट है खासकर पिछले दो हफ्ते में बिहार की राजनीति में तीन ऐसी बातें सामने आई है जिस पर जेडीयू और बीजेपी के सुर नदी के दो किनारों के समान है यानी कि एक दूसरे से विरोधाभास है।
वही आपको बता दे कि चर्चाएं तो यहां तक हो रही है कि क्या ये बातें कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दोस्ती में दरार बनेंगे ।
आइए आपको बताते है कि आखिर किन तीन मुद्दों पर बीजेपी और जेडीयू
के स्टैंड बदले बदले से हैं।
जानकारी के अनुसार हिंदू राष्ट्र बनाने पर बीजेपी जेडीयू के बीच दो अलग नतीजे दिखाई दे रहा है इससे पहले होली और रमजान पर दोनों दलों के बीच दो तरीकों की राय देखने को मिली थी ।
हिंदू राष्ट्र के मुद्दे पर बीजेपी विधायक हरि भूषण ठाकुर बचल ने कहा था कि 1947 में जब देश का विभाजन हो गया था तो बचा हुआ राष्ट्र जो था उन्हें हिंदू राष्ट्र कहा गया है ।।
वही आपको बात दे कि बागेश्वर बाबा घूम घूमकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं उन्होंने कहा कि धर्म निरपेक्षता इमरजेंसी के दौरान देश पर थोप दिया गया था बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने जो संविधान बनाया है उसमें धर्म निरपेक्षता नहीं है ।।
वही उन्होंने ये भी बताया कि भारत हिंदू राष्ट्र है वही हरिभूमि का यह बयान आने के बाद जेडीयू की तरफ से मंत्री जमा खान ने सीधे शब्दों में कहा कि बिहार में जब तक नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं तब तक यहां धर्म निरपेक्षता को कोई खतरा नहीं है पिछले दिनों महाराष्ट्र में मुगल शासक औरंगजेब की तारीफ करने के चलते समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था।
इस मसले पर भी बिहार में भारतीय जनता पार्टी और जेडीयू के बीच तलवारें खींच गई ।
साथ ही जेडीयू के एमएलसी खालिद अनवर ने कहा कि हमारे देश की राजनीति की यह बदकिस्मती है कि पार्लियामेंट में एकेडमिक चर्चा हो रही है अगर कोई फिल्म बनाता है कोई आर्टिकल लिखता है तो उस पर वाद विवाद और चर्चा होना पूरी तरह से शैक्षणिक है ।।
लेकिन देश में जो भी बड़े इतिहासकार बने हैं उन्होंने औरंगजेब के बारे में अलग-अलग राय रखी है।
यह बदकिस्मती है हमारे देश के राजनीति की कि एकेडमिक डिस्कशन पार्लियामेंट में करते हैं अगर कोई सिनेमा बन कोई आर्टिकल लिख
रहा है तो ये एकेडमिक डिस्कशन है इस पर
डिस्कशन होना चाहिए लेकिन जो औरंगजेब थे उनके बारे में लोगों की ओपिनियन अलग-अलग
है और बड़े हिस्टोरियंस उन सबने यह कहा है कि औरंगजेब एक अच्छा शासक था और उनको जिस तरह से जालिम बताया जाता है वे उतना जालिम नहीं थे।
बल्कि एक लॉबी है जो उनको जालिम बताने की कोशिश कर रही है तो यह थोड़ एकेडमिक डिस्कशन है ।
ये पार्लियामेंट के फ्लोर पर डिस्कशन नहीं हो सकता है।और अगर ये पॉलिटिकल जलसे में नहीं हो सकता तो एकेडमिक डिस्कशन को एकेडमिक रहने देना
चाहिए ।
और वही औरंगजेब के बारे में इस तरह का दुष्प्रचार करके कोई पॉलिटिकल पार्टी क्या
हासिल करना चाहती मुझे नहीं समझ में आता।।
एक राजा था जो चला गया आप राजा है हम राजा हैं हमको बताना है कि हम देश को क्या देने जा रहे हैं ।।
अब इस तरह का डिस्कशन नहीं होना चाहिए।
इसी बयान पर जवाब देते हुए बीजेपी नेता और बिहार सरकार में मंत्री नीरज कुमार बबलू नाराज हो गए और सीधे-सीधे शब्दों में कहा कि आज देश में जो भी औरंगजेब की तारीफ करते हैं उनके खिलाफ कार्यवाई होनी चाहिए।
बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने भी पटना आकर कहा कि जो भी औरंगजेब का समर्थन करता है उनको इंगित करके उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करनी चाहिए।।
आपको बता दे कि इन तीन बातों के अलावा बिहार एनडीए गठबंधन में सबसे बड़ा सवाल यह है कि बीजेपी के बड़े नेता खुले मंच से नितेश कुमार को आगामी चुनाव में मुख्यमंत्री का उम्मीदवार क्यों नहीं घोषित कर रहे हैं ।
साथ ही बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल और वरिष्ठ मंत्री प्रेम कुमार ने जिस तरह से कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के चेहरे पर लड़ा जाएगा लेकिन मुख्यमंत्री कौन बनेगा इसका फैसला चुनाव के बाद ही होगा ।
इससे पहले अमित शाह ने भी इसी तरह का बयान दिया था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में बिहार दौरे के दौरान नीतीश कुमार को लाडले मुख्यमंत्री कहकर संबोधित कर चुके हैं लेकिन उन्होंने मंच से नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बताया दूसरी तरफ पहले लालू प्रसाद यादव ने मंच से नीतीश कुमार को साथ आने का ऑफर दे चुके हैं हालांकि तेजस्वी यादव ने हाल ही में नीतीश कुमार के साथ आने की किसी भी संभावना का खंडन किया था ।
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जब जेडीयू और बीजेपी साथ आई थी तब पार्टी के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने कहा था कि नितीश कुमार बिना धर्म जाति देखकर विकास कार्य करते हैं लेकिन मुस्लिम समाज जेडीयू को
वोट नहीं देता है ।।।