चैत्र नवरात्रि 8 दिनों की, जानें कलश स्थापना की विधि, सामग्री लिस्ट

चैत्र नवरात्रि 8 दिनों की,
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चैत्र नवरात्रि 8 दिनों की, जानें कलश स्थापना की विधि, सामग्री लिस्ट

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते॥

हे नारायणी! तुम सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगलमयी हो। कल्याण दायिनी शिवा हो। सब पुरुषार्थों को (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) सिद्ध करने वाली हो। शरणागत वत्सला, तीन नेत्रों वाली एवं गौरी हो। हे नारायणी, तुम्हें नमस्कार है।

चैत्र नवरात्रि 8 दिनों की,
चैत्र नवरात्रि 8 दिनों की,

नवरात्रि इस वर्ष 30 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल तक मनाया जाएगा। इस बार की नवरात्रि सुख-समृद्धि से भर जाएगी क्योंकि माता की सवारी हाथी होगी और पांच विशेष घटनाएं होंगी।

नवरात्रि इस वर्ष 30 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल तक मनाया जाएगा। इस बार की नवरात्रि सुख-समृद्धि से भर जाएगी क्योंकि माता की सवारी हाथी होगी और पांच विशेष घटनाएं होंगी। नवरात्र इस बार सर्वार्थ सिद्ध, ऐंद्र, बुद्ध आदित्य, शुक्र आदित्य और लक्ष्मी नारायण के योग में होने से विशेष लाभ मिलेगा। हिंदू धर्म में नवरात्रि एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जिसे आध्यात्मिक साधना और शक्ति की पूजा करने का सर्वोत्तम समय माना जाता है। साल में चार बार यह पर्व मनाया जाता है; चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि इसमें सबसे महत्वपूर्ण हैं। चैत्र नवरात्रि, देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का पर्व है, जो प्रत्येक साल चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है।

8 दिनों की है नवरात्रि-

इस बार अष्टमी और नवमी एक ही दिन पड़ रहे हैं, इसलिए नवरात्रि 9 दिन की बजाय केवल 8 दिन की होगी। पंचमी तिथि खत्म होने से नवरात्र आठ दिनों का होगा। बुधवार, 2 अप्रैल को चौथी और पंचमी पूजा होगी।

कलश स्थापना की विधि:

नवरात्रि के पहले दिन कलश को स्थापित करने से पहले सभी देवताओं का आह्वान करें। ज्वारे के बीज को एक बड़े पात्र में डाल दें। बाद में बीज और मिट्टी को एक बर्तन में मिलाकर पानी डालें। अब गंगाजल भरकर ज्वारे के पात्र और कलश पर मौली डालें। सुपारी, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्का को भी जल में मिलाएं। अब पांच आम के पत्तों को कलश के किनारों पर रखें और ढक्कन से ढक दें। एक नारियल को लाल कपड़ा या चुनरी से ढक दें। नारियल में मौली डालें। इसके बाद, कलशों और ज्वारों को स्थापित करने के लिए सबसे पहले जमीन को साफ करना होगा। अब ज्वारे का पात्र रखें। कलश को उसके ऊपर रखें, फिर कलश के ढक्कन पर नारियल रखें। फिर सभी देवताओं का अभिवादन करके नवरात्रि की विधिवत पूजा शुरू करें। कलश को स्थापित करने के बाद उसे मंदिर में नौ दिनों तक रखा जाना चाहिए। आवश्यकतानुसार हर दिन पानी डालते रहें।

कलश स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री की सूची- कलश बनाने के लिए अनाज, मिट्टी का बर्तन, गंगा जल, आम या अशोक के पत्ते, सुपारी, जटा वाला नारियल, लाल सूत्र, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, अक्षत, लाल कपड़ा, फूल आदि चाहिए।

दुर्गा माँ पूजन के लिए आवश्यक सामग्री की सूची निम्नलिखित है: चावल, लाल कलावा, गंगा जल, चंदन, नारियल, कपूर, जौ, गुलाल, लौंग, इलायची, पांच पान, सुपारी, मिट्टी के बर्तन, फल, आसन, कमलगट्टा और श्रृंगार का सामान।

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