रामनवमी को लेकर झारखंड में हुआ बड़ा फैसला।

गुरुवार को झारखंड हाई कोर्ट ने इस प्रथा की आलोचना करते हुए सरकार को जुलूस में इस्तेमाल होने वाले ध्वजों की ऊँचाई निर्धारित करने का निर्देश दिया। साथ ही अगर लिमिट के पार ध्वजों की ऊँचाई होती है तो उन्हें जुलूस में ले जाने की अनुमति नहीं रहेगी। इस आदेश के खिलाफ झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से राहत की मांग की है।
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रामनवमी को लेकर झारखंड में हुआ बड़ा फैसला।

रामनवमी और अन्य त्योहारों में जब भी जुलूस निकलते हैं, तब बिजली काट दी जाती है, और यह नियम तब शुरू हुआ था जब काफी ज्यादा मामले सामने आने लगे थे कि टेंशन तारों के कारण बहुत सारी परेशानी हो रही है, लोगों की मौत हो रही है तारों के संपर्क में आने से। एक मामला सामने आया था साल 2002 में जब 29 लोगों की मौत इसी वजह से हुई थी, साथ ही कई बार बच्चों के साथ भी हादसे हुए हैं।

उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बिजली की आपूर्ति बंद करने की सलाह दी थी, ताकि ऐसी घटनाएं न हों। झंडे जो जुलूस में निकाले जाते हैं, उनकी लंबाई काफी ज्यादा होती है, जिस वजह से वे हाई टेंशन तारों के संपर्क में आ सकते हैं, और हादसा हो सकता है। हालाँकि झारखंड सरकार को जुलूस में इस्तेमाल होने वाले ध्वजों की ऊंचाई सीमित रखने का निर्देश दिया गया है,

रामनवमी
रामनवमी 

मगर झारखंड सरकार की तरफ से यह सवाल भी उठा कि लोग इतनी देर बिना बिजली के कैसे रहेंगे। झारखंड सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की, हालाँकि लोगों को बचाने के लिए ही यह फैसला लिया गया था, और 6 अप्रैल को रामनवमी और मुहर्रम के जुलूस को लेकर बिजली कटौती की योजना बनाई गई है।

गुरुवार को झारखंड हाई कोर्ट ने इस प्रथा की आलोचना करते हुए सरकार को जुलूस में इस्तेमाल होने वाले ध्वजों की ऊँचाई निर्धारित करने का निर्देश दिया। साथ ही अगर लिमिट के पार ध्वजों की ऊँचाई होती है तो उन्हें जुलूस में ले जाने की अनुमति नहीं रहेगी। इस आदेश के खिलाफ झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से राहत की मांग की है।

सीनियर एसोसिएट कपिल सिब्बल ने झारखंड सरकार का पक्ष रखा, उन्होंने कहा कि यह प्रथा वर्षों से चली आ रही है, जुलूस में बहुत से लोग भाग लेते हैं जो अपने झंडे लेकर आते हैं, ऐसे में इतने कम समय में आदेश लागू करना असंभव है क्योंकि जुलूस रविवार यानी कल ही है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि अगर बिजली की कटौती हुई तो अस्पतालों का क्या होगा? और आवश्यक सेवाओं पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, ऐसे में अगर झंडे या खंभे तारों को छूते हैं तो खतरा भी होगा। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को निर्देश दिया है कि वह हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल करें, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाए कि आवश्यक सेवाओं की बिजली की आपूर्ति बाधित नहीं होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को झारखंड सरकार को रामनवमी पर बिजली की आपूर्ति में कटौती करने की अनुमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को संशोधित किया, जिसमें राज्य सरकार को धार्मिक जुलूसों के दौरान बिजली की आपूर्ति में कटौती करने से रोका गया था।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार से बिजली कटौती को न्यूनतम स्तर पर रखने और धार्मिक जुलूसों के मार्गों तक ही सीमित रखने को कहा है।

कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि इस दौरान अस्पतालों में बिजली आपूर्ति बाधित न हो।

शोभायात्रा या जुलूस पर 5 से 10 घंटे पावर कट

झारखंड सरकार के निर्देश पर राज्य बिजली वितरण निगम (जेबीवीएनएल) त्योहारों पर निकलने वाली शोभायात्रा या जुलूस में शामिल लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर एहतियात के तौर पर कई घंटों तक बिजली आपूर्ति बंद कर देता है। 1 अप्रैल, 2025 को सरहुल त्योहार की शोभायात्रा के दौरान भी रांची में पांच से दस घंटे तक बिजली काटी गई थी।

बिजली कटौती को न्यूनतम स्तर पर रखने का निर्देश

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि बिजली कटौती केवल शोभायात्रा मार्गों तक सीमित रहे और उसे न्यूनतम स्तर पर रखा जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि अस्पतालों और आपातकालीन सेवाओं की बिजली आपूर्ति पर कोई असर न पड़े।

शीर्ष अदालत ने जेबीवीएनएल के प्रबंध निदेशक को यह अंडरटेकिंग देने का निर्देश दिया है कि कम समय के लिए बिजली काटी जाएगी और अस्पताल एवं अन्य जरूरी सेवा वाली संस्थाओं को बिजली आपूर्ति की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई आठ अप्रैल को मुकर्रर की है।

गर्मी में बिजली कटौती से लोगों को होती है परेशानी

चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने एडवोकेट जनरल की दलील सुनने के बाद निर्णय लिया कि बिजली की सप्लाई एक आवश्यक सेवा है। अब गर्मी है। जेबीवीएनएल की बिजली सप्लाई काटने से शहर के अधिकांश बुजुर्गों, बीमारों, छोटे बच्चों और परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों और गर्भवती महिलाओं को परेशानी होती है। इससे व्यापारियों को भी नुकसान होता है। रोगियों का इलाज निजी और सरकारी अस्पतालों में प्रभावित होता है।

एजी बोले- दुर्घटनाओं को रोकने के लिए बिजली कटौती जरूरी

एडवोकेट जनरल ने पहले कोर्ट में दलील दी कि सरहुल के दिन बिजली की कटौती अनिवार्य थी क्योंकि लोग बड़े-बड़े झंडे लेकर शोभायात्रा में भाग लेते हैं। इससे दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है। कोर्ट को बताया कि 2000 में सरहुल महोत्सव में ऐसी एक घटना हुई थी, जिसमें 29 लोग मर गए थे। वकील जनरल ने न्यायालय को बताया कि 6 अप्रैल 2025 को रामनवमी और 6 जुलाई 2025 को मुहर्रम के दिन भी ऐसे ही विद्युत कटौती की आवश्यकता होगी। दुर्घटनाओं के डर से लोग यात्रा करना नहीं छोड़ते – झारखंड हाईकोर्ट

चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि सड़क, ट्रेन या हवाई जहाज पर यात्रा करते समय अक्सर हादसे होते हैं। इसलिए कोई भी यात्रा नहीं छोड़ता था। इसलिए दुर्घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए। शोभायात्रा निकालने की अनुमति देने वाले अधिकारियों को झंडे की ऊंचाई निर्धारित करनी चाहिए, ताकि वे जेबीवीएनएल के बिजली के तार से नहीं मिल सकें। शोभायात्रा में झंडे की ऊंचाई तय करें – कोर्ट

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि शोभायात्रा निकालने वालों को यह भी बताना चाहिए कि झंडे एक निश्चित ऊंचाई से ऊंचे नहीं होंगे। चीफ जस्टिस ने कहा कि राज्य सरकार कानूनी एजेंसियों द्वारा इसका अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए तैयार होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि समय रहते आयोजकों को इसकी सूचना दी जानी चाहिए थी और यह स्पष्ट करना चाहिए था कि उन्हें सिर्फ इसका पालन करना चाहिए था।

अब देखना है कि कितने आदेशों का पालन होता है और उम्मीद है कि कोई दुर्घटना न घटे, त्योहार शांति पूर्ण ढंग से संपन्न हो।

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